search
  • हाथरस बलात्कार कांड से बड़ी खबर बना दी गई सौ करोड़ की साज़िश, पुलिस की कल्पनाशीलता का अद्भुत नमूना,
  • October 10, 2020
  •  बलात्कार से बड़ी खबर है अपराध का विरोध की साज़िश     

    -अंशुमान त्रिपाठी     

    मुद्दे बदलने का खेल- आप किसान कानून से परेशान हैं तो सुशांत सिंह राजपूत, चीन देश की सीमा में घुस गया तो रिया चक्रवर्ती, अर्थव्यवस्था चौपट तो कंगना का कोप..हाथरस में रेप तो सौ करोड़ की साज़िश

    सौ करोड़ की सज़िश..पीड़िता के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए..
    बलात्कारी के पक्ष में जो खड़े हैं, उनके बारे में की जिक्र नहीं- वे पंचायत कर रहे हैं, धमकी दे रहे हैं, निर्दोष बता रहे हैं और अब प्रेम संबंध का दावा कर रहे हैं.
    विमर्श बदल गया...बलात्कार से ज्यादा खतरनाक हो गया उसके पक्ष में खड़ा होना..
    मीडिया को औऱ बड़ी सुर्खियां मिल गईं...सर्वश्रेष्ठ चैनल तीन बार सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री का खिताब दे चुका है,,
    एफआईआर- रचनात्मक, कल्पनाशीलता, क्रिएटिविटी, ईमानदारी
    चार मुसलमान... 6 फोन, एक लैपटॉप, मथुरा से हाथरस जा रहे..दंगा कराने, बगैर तमंचे-पिस्तौल, चाकू-तलवार 
    पैंफ्लेट ले कर...यानि भड़काऊ साहित्य... बम-गोले-पिस्तौल-तमंचे से भयंकर, अगर किताब कार्ल मार्क्स का दास कैपिटल है तो नक्सलवादी और कहीं हिटलर की जीवनी मीन कैंफ तो राष्ट्रद्रोही...पुलिस जानती है कि हिटलर कौन हैं...संविधान की पुस्तक भी इन्हें भड़काऊ लगती है..सुधा उपाध्याय,जीएन सांईबाबा, हेनी बाबू, गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबड़े की श्रेणी में....
    सौ करोड़ की साज़िश- ईडी –हवाला-
    यूपी पुलिस की क्रिएटिविटी- मीडिया से पुलिस को जानकारी,, पुलिस से मीडिया  को जानकारी- ईडी-
    एफआईआर-पाठ- किस सनसनी वाले टीवी चैनल की लिखी कथा..ईमानदारी से मीडिया को श्रेय..
    सामाजिक विद्वेष एवम् जातिगत तनाव औऱ दंगा भड़काने की कोशिश- सवर्ण युवा धमकी दे रहे, पंचायत-144
    चंदा वसूलने-न्याय दिलाने की आड़ में दंगे की तैयारी--- 30 सेकंड की पत्रकारिता...
    धाराएं... 
    153 A- धर्म, भाषा, नस्ल के आधार पर नफरत, 3 साल की कैद
    295A- धर्मिक भावनाओं को आहत करना..
    124A- सरकार के प्रति घृणा पैदा करना,  राजद्रोह- की श्रेणी में...
    यूएपीए- धारा-17,18- आतंक में सहभागिता, तैयारी,बढ़ावा या संलिप्तता-बगैर फैसला आतंकी, कुर्की
    आईटी एक्ट-65,72,75- रिकॉर्डिंग प्रमाण,72-सोहबत,गलत दस्तावेज,सूचना
    देश-दुनिया के जनहित के मुद्दों पर विचार-मंथन के कार्यक्रम चौपाल चर्चा में आपका स्वागत है. मुंबई पुलिस ने टीआरपी बम फोड़ दिया है. बताया गया है कि फर्जी टीआरपी पाने के लिए एक बड़ी साजिश रची गई थी औऱ तीन न्यूज़ चैनलों ने सका फायदा उठाया. बहरहाल आलम ये है कि जो चैनल खुद गुनहगार हैं, वो भी इस मौके पर टीआरपी के लिए ये खबर चला रहे हैं. औऱ पुलिस को ही गुनहगार बता रहे हैं. वैसे आजकल मीडिया और सरकार दोनों का तरीका एक जैसा हो गया है. झूठ को इतना ज़ोर से बोलो कि सच शर्मा जाए. वो झूठ बोलेगा, लाजवाब कर देगा, मैं सच कहुंगी औऱ हार जाउंगी. टीआरपी पत्रकारिता पर मुंबई पुलिस के खुलासे के बाद यूपी पुलिस के एक बड़े खुलासे पर बात की जाए. छोटा-मोटा नहीं, सौ करोड़ का है. हाथरस में बलात्कार पीड़िता के पक्ष में खड़े होने वालों पर विदेशों से सौ करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे थे. प्रवर्तन निदेशालय ने तो बता भी दिया कि इसमें से पचास करोड़ हवाला के जरिए आए थे. हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर ईडी ने हवाला कनेक्शन और सौ करोड़ का ज़िक्र नहीं किया. लेकिन मेरे साथी पत्रकारों के कान फूंक दिए, चैनलों ने बताना शुरू कर दिया कि हाथरस में सामूहिक बलात्कार से भी बड़ी एक साज़िश हो रही थी-वो थी बलात्कार मामले पर धरना-प्रदर्शन-समर्थन जुटाने की. प्रवर्तन निदेशालय तुरंत सक्रिय हो गया, जैसे सुशांत सिंह मामले में रिया चक्रवर्ती के खिलाफ फूर्ती से उठ खड़ा हो गया था. खबर बनाई गई कि डी ने यूपी पुलिस से हाथरस मामले में मथुरा से पकड़े गए तीन मुसलमानों पर दर्ज की गई एफआईआर हासिल कर ली. बहुत बड़ी कामयाबी मिली थी ईडी को. उसके बाद ईडी को मालूम हुआ कि हवाला से यूपी पहुंचा पचास करोड़ हाथरस के बहाने, मोदी औऱ योगी को निशाने पर लेने के लिए आया था. अभी बाकी पचास करोड़ आने बाकी है.
    तो पूरी कहानी समझने के लिए पहले यूपी पुलिस की एफआईआर का पाठ करना ज़रूरी होगा. क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय को कहानी का प्लॉट यहीं से मिला. तो शुरुआत मथुरा की एफआईआर से करते हैं.. मुझे अभी तक की ये सबसे रचनात्मक एफआईआर लगी, मोस्ट क्रिएटिव, अद्भुत कल्पनाशीलता नज़र आई, और इतनी ईमानदारी से लिखी गई कि खुद सरकार भी शर्मा जाए. भाई साहब एफआईआर लिखना मामूली बात नहीं है. कई दिनों तक  मूड बनाने पर लिख पाती है पुलिस. वहीं मुख्यमंत्री का मूड खराब हो जाए तो मिनटों में बड़े बड़े प्लॉट बनाए जा सकते हैं. कहानी भी ऐसी कि लोग हाथरस की बिटिया के साथ बलात्कार को भूल गए. बलात्कार को प्रेम संबंध बताना शुरू किया गया. इधर बिटिया के समर्थन में खड़े लोगों को देशद्रोही...और पूरे मामले को अंतर्राष्ट्रीय साज़िश..देखते-देखते पूरा का पूरा नैरेटिव बदल गया..पूरा विमर्श बदल कर रख दिया गया.
    खैर...
    मथुरा के मॉंट थाने में चार लोगों के खिलाफ एफआरआऱ दर्ज, चारों मुसलमान थे. वो हाथरस जा रहे थे. क्यों जा रहे थे हाथरस, मुसलमान हो कर...की ऐर काम धंधा नहीं था क्या.. साज़िश ही होगी, वरना मथुरा-वृंदावन छोड़ कर कोई भला हाथरस क्यों जाता....शायद पुलिस को जेब से बस के टिकट भी मिले होंगे, नहीं तो तलाश लेगी. फिर चार के बीच छह फोन, छह फोन की ज़रूरत आखिर क्यों थी भाई, चार के चार होने चाहिए थे, दो साजिश के लिए अलग रखे गए होंगे, मालखाने में जब्त पड़े होंगे.लैपटॉप एक ही था... ये हाथरस दंगा फैलाने जा रहे थे, बगैर असलहे के दंगा..कोई तमंचा-कट्टा नहीं, ( देखिए पुलिस की ईमानदारी, वरना कितनी देर लगती है कट्टा-तमंचा औऱ हेरोइन जब्त कराने में,लेकिन गलत काम नही करती यूपी पुलिस) हां, भड़काऊ साहित्य ले जा रहे थे- भड़काऊ साहित्य ये बम और गोलों से भी खतरनाक चीज़ है. अगर आपके घर दास कैपिटल और हिटलर का मीन कैंफ मिल गया तो आपकी खैर नहीं, ज़रूर सुधा उपाध्याय,
    ((“ ६ अदद स्मार्टफोन, एक अदद लैपटॉप( Dell Vostro P75F109), और पैंफ्लेट जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम से संबंधित साक्ष्य की जांच मेरे द्वारा की गई तो पाया गया कि उक्त व्यक्ति शांति भंग करने के लिए हाथरस जा रहे थे कि उनके पीछे एक बड़ी साजिस थी. 
    कतिपय मीडिया रिपोर्टों में हाल में विभिन्न माध्यमों से प्रकाशित खबरों के अनुसार ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा जानबूझ कर सामाजिक विद्वेष  एवम् जातिगत तनाव तथा देश के सांप्रदायिक सदभाव को प्रभावित करते हुए प्रदेश में अभी हाल में ही हाथरस जनपद की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना की आड़ में दंगा भड़काने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है. ))
    ( पुलिस की ईमानदारी) मीडिया पुलिस को जांच की दिशा दे रही है …...
    ((यह भी स्पष्ट हुआ है कि कुछ लोग जातिगत आधार पर समाज में भय एवम् दंगा भड़काने की नीयत से घटना और प्रदर्शन आय़ोजित कर रहे हैं.))
    धरना और प्रदर्शन भय और दंगा भड़काने के उद्देश से….फर्जी एनकॉउंटर और गाड़ियां पलटाने से भय नहीं...
    ((ये लोग इसकी आड़ में चंदा एकत्रित करने के प्रयास में लगे हैं)) औऱ ( चंदा इकट्ठा करना राष्ट्रीय बीमारी है जो युगों-युगों से चली आ रही है-दुर्गाजी बिठाने क लिए चंदा, गणेशजी की मोहल्ले में स्थापना के लिए चंदा, सूरत में भूकंप आया, दो चंदा...कुछ दिन मे टीवी चैनलों को कहना पड़ेगा कि मुझे चंदा दो, चंदा दो, चंदा दो…,जी हां, जिस तेजी से इन चैनलों में छंटाई हो रही है, संपादकजी को कहना पड़ेगा. क्योंकि जैसे जैसे मोदीजी मजबूत होते जा रहे हैं, चैनल भी कम होते जा रहे हैं...काम निकल गया तो पहचानते नहीं...खैर..मेर बहुत से साथियों को मोदीजी खूब पहचानते हैं, क्योंकि वो भी मोदीजी की पहचान के लिए अपनी पहचान तक मिटा रहे हैं...खैर.. विभीषण बनने से काम नहीं चलेगा..आज तक देश ने विभीषण को माफ नहीं किया, भले ही वो भगवान राम की शरण में चला गया हो, कह कर देख लीजिए किसी को विभीषण, अगर आपके लिए रावण ना बन गया तो कहिएगा..
    ((“ये भी ज्ञात हुआ है कि लोग cardd.co नामक वेबसाइट के संचालन कर रहे हैं. ये लोग सीधे तौर पर दंगा भड़काने एवम् शांति व्यवस्था को भंग करने वाले कृत्य तथा ऐसे कार्य जो सामाजिक सद्भाव के खिलाफ है, उनमें संलिप्त है.” 
    Nashville- अमेरिका के टेनिसी प्रांत की वेबसाइट- जो सबको एक पेज की वेबसाइट बनाने के लिए कहती है और इससे कमाई करती है…))
    (( यह भी ज्ञात हुआ है कि विदेशों से प्राप्त चंदा से शांति व्यवस्था एवम् सामाजिक समरसता को प्रभावित करते हुए दंगा भड़काने में लिप्त हैं. जानकारी मिली है कि इस प्रकार चंदे की धनराशि तथा जिस माध्यम से प्राप्त की जा रही है, उसकी कोई वैध प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही है और .ये धनराशि जब्त करने योग्य है. इस प्रकार उक्त वेबसाइट द्वारा विदेश से प्राप्त चंदे का उपयोग समाज में हिंसा भड़काने के प्रयोग में किया जा रहा है. बरामद पैंप्लेट आईएम नॉट इंडियाज़ डॉटर, made with carrd आदि मुद्रित पंप्लेट सामाजिक वैमनस्य बढ़ाने एवम् जनविद्रोह भड़काने वाले हैं. संकलित सूचना से ये भी ज्ञात हुआ है कि इस वेबसाइट का उपयोग जातिगत हिंसा व दंगा भड़काने,चंदा एकत्र करने एवम् तथाकथित गैंगरेप की घटना की अफवाह फैलाने में किया जा रहा है. इस वेबसाइट से जुड़े संगठनों एवम् कार्यकर्ताओं के द्वारा भीड़ एकत्र करने, अफवाह फैलाने एवम् चंदा एकत्रित करने का कार्य न्याय दिलाने की आड़ में किया जा रहा है. इस प्रकार की वेबसाइट युवाओं में राष्ट्रविरोधी भावनाओं को जाग्रत कर रहे हैं. 
    इस वेबसाइट के माध्यम से कई  प्रकार का राष्ट्रविरोधी प्रचार भारत में किए जा रहे हैं. जैसे मॉब लिंचिग की घटनाओं का दुष्प्रचार, हाल में मजदूरों का पलायन, तथा कश्मीर  में विघटनकारी तत्वों का समर्थन में व्यापक प्रचार प्रमुख है. इस वेबसाइट का मूल उद्येश्य जातिगत विद्वेष को बढ़ावा दिया जाना एवम् समाज में अस्थिरता पैदा करना तथा बड़े पैमाने पर दंगा फैलाना  पाया गया है.))
    ((यह वेबसाइट हिंसा फैलाने के तरीके बताती है. तथा हिंसा के समर्थन में लोगों का समर्थन हासिल करने तथा जनता को दंगे के लिए प्रेरित करती हैं. इस वेबसाइट के माध्यम से दंगे के दौरान अपनी पहचान छुपाने के, हिंसा करने के और शांति व्यवस्था भंग करने के उपायों की जानकारी दी जाती है. इसके साथ साथ ये वेबसाइट किसी भी क्षेत्र में तनाव बढ़ाने के बाद और उस क्षेत्र की शांति व्यवसथा भंग करने के बाद वहां से आसानी से निकल जाने के तरीकों की जानकारी भी प्रदान करती है. ))
    (यूपी पुलिस ने द वायर  के साथ वेबसाइट के इस कंटेट को साझा किया है, जिसे पुलिस ने सबूत के तौर पर प्रचारित करते हुए इसे दंगों की अंतरराष्ट्रीय साजिश बताया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस कंटेंट को अमेरिका में ब्लैक लाइव्ज मैटर विरोध प्रदर्शन से संबंधित वेबसाइट से हू-ब-हू उठाकर (कॉपी-पेस्ट) इस्तेमाल किया गया है.
    हाथरस मामले से जुड़ी इस कथित वेबसाइट पर उस भाषा को शब्दश: दिया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश में संभावित आंदोलनकारियों और दंगाइयों के लिए अजीबोगरीब निर्देश दिए गए हैं. जैसे इसमें कहा गया है कि
    विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर विचार कर रहे लोगों को सलाह दी जाती है कि वे पहले इस प्रदर्शन के बारे में थोड़ा रिसर्च कर लें ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि वे किसी सेट-अप (षड्यंत्र) का हिस्सा न हो, जहां श्वेत वर्चस्ववादी लोगों को लुभाने की कोशिश करें और उत्तर प्रदेश के लोगों को सैन डियागो और फीनिक्स (अमेरिकी शहर) के लोगों से ज्यादा स्मार्ट होने की सलाह दें.
    पुलिस का जिस वेबसाइट के बारे में कहना है कि इसका उद्देश्य यूपी के ग्रामीणों और कस्बे वासियों को दंगे के लिए उकसाना है, उसने उन्हें यह सलाह भी दी थी कि अगर वे अश्वेत लोगों को भागते देखें तो उनके साथ भाग लें. यह अभी तक अस्पष्ट है कि क्या यूपी पुलिस को ऐसी उम्मीद थी कि अफ्रीकी अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत हाथरस में दंगे करा सकते हैं.
    एक खंड में उत्तर प्रदेश के ग्रामीणों को यह भी बताया गया है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान क्या न पहने. इसके साथ ही उन्हें अपनी त्वचा पर वैसलिन, मिनरल ऑयल या तेलयुक्त सनस्क्रीन नहीं लगाने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही कॉन्टैक्ट लेंस न पहनने, टाई, आभूषण और ब्रांडेड कपड़े भी नहीं पहनने को कहा गया है.
    वेबसाइट पर प्रदर्शनकारियों, जो अनुमानत: यूपी के गांवों और कस्बों के हैं, को ढीले कपड़े और स्विमिंग गॉगल्स (चश्मा) पहनने के निर्देश दिए गए हैं.
    लोगों से स्नीकर्स (स्पोर्ट्स शू) पहनने को कहा गया है, जो भागने में आरामदायक हो. साथ ही हैट लगाने को कहा गया है, जिसके किनारे मुड़े हुए हों ताकि इसे झुकाकर रखा जा सके. कहा गया है कि यह हैट यूपी के ग्रामीणों को दंगे के दौरान उनकी पहचान उजागर होने के साथ धूप और रासायनिक पदार्थों की चपेट में आने से भी बचाएगा. इसके साथ ही साइकिल पर लगाए जाने वाले हैट और दस्तानों की भी सलाह दी गई है.
    हाथरस में प्रदर्शन के बाद ग्रामीणों से उबर (कैब सर्विस) का इंतजार न कर बाइक का इस्तेमाल करने को कहा गया है.
    प्रदर्शनकारियों से एक बैकपैक (पिट्ठू बैग) लाने को कहा गया है, जिसमें स्नैक्स, पानी, एक पोर्टेबल चार्जर के साथ दूध या पानी से भीगे हुए कपड़े भी रखा गया हो, जिसे पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़े जाने से बचाव में इस्तेमाल में लाया जा सके
    यह भी पाया गया है कि इस वेबसाइट पर कई तथ्यों को तोड़मरोड़ कर इस आशय से प्रस्तुत किया है कि जिससे अस्थिरता आ जाए. सामाजिक सद्भाव भंग हो. तथा समाज हिंसा की चपेट में आ जाए.ये पोर्टल पूरी तरीके से भारतीय संविधान और विधि द्वारा स्थापित नियमों के विपरीत कार्य में संलिप्त है.
     
    इस प्रकार से वेबसाइट carrd.co  और justice for hathras का मुख्य उद्येश्य विभिन्न लोगों से चंदा प्राप्त करना एवम् प्राप्त धनराशि का उपयोग विद्वेष और जातिगत हिंसा में बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है. 
    हैरानी की बात है कि उत्तर प्रदेश के संभावित दंगाइयों को यह भी चेतावनी दी गई कि न्यूयॉर्क पुलिस विभाग (एनवाईपीडी) विरोध प्रदर्शनों की वीडियो रिकॉर्डिंग करेगा.
    इस वेबसाइट पर लगे पोस्टर में कोलकाता में एक विरोध प्रदर्शन के आयोजकों को वामपंथी और कांग्रेस से संबद्ध छात्र और महिला अधिकार समूह बताया गया है. हालांकि वामपंथी समूह खुद के लिए कभी वामपंथी शब्द का इस्तेमाल नहीं करते.
    इनका ये कृत्य भारतीय दंड विधान की धारा १५३ ए और २९५ ए की परिधि में आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है. ये भी पाया गया है कि वेबसाइट को संचालित करने वाले व्यक्तियों द्वारा किया जाने वाला कृत्य भारतीय दंड विधान धारा १२४ ए भारतीय दंड विधान के अंतर्गत विधि के द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा पैदा करने वाला है जो कि राजद्रोह की परिधि में आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है. ये भी पाया गया है कि इन वेबसाइट के कृत्यों से यूएपीए की धारा १७ एवम् १८ का भी अपराध सृतिज हो रहा है. इसके अतिरिक्त उक्त वेबसाइट से जुड़े व्यक्तियों द्वारा आईटी एक्ट ६५,७२ और ७५ अपराध कारित किया गया है. उपरोक्त वेबसाइटों को संचालित करने वाले व्यक्तियों के विषय में विस्तृत और गहन जांच करने की आवश्यकता निम्न बिंदुओं पर है.
    १. उक्त वेबसाइट किके द्वारा किस उद्येश्य से बनाया गया है
    २. अब तक इस वेबसाइट/प्लेटफॉर्म से कितनी धनराशि एकत्र की गई है
    ३. जो धनराशि एकत्र की गी है, वो धनराशि का इस्तेमाल कहां किया गया है/ किन व्यक्तियों के खाते में उक्त धनराशि भेजी गई है.
     
    वेबसाइट पर पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग वाली कई याचिकाओं के लिंक हैं, जिन पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं. इसके साथ ही तमाम सरकारी ईमेल एड्रेस हैं, जहां लोग ईमेल भेज सकते हैं लेकिन उन्हें सलाह दी गई है कि वे ईमेल को कॉपी-पेस्ट न करें, बल्कि वाक्य को बदल दें ताकि उन्हें स्पैम नहीं समझा जाए.
    एक वेबसाइट भी बन चुकी है. अमेरिका से चलती है. वो दंगा भड़काने और भड़कने पर भागने के गुर सिखा रही है.
    20 से अधिक प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की हैं
    एमनेस्टी इंटरनेशनल,पीएफआई( Peoples Front of India),एसडीपीआई( Socialist Democratic Party of India)
    ED का दावा- जातीय दंगा फैलाने के लिए मॉरीशस से 100 करोड़ की फंडिंग
    पुलिस ने इनके पास से भड़काऊ साहित्य बरामद किया - पं दीनदयालजी उपाध्याय के एकात्म मानववाद के अलावा सब भढ़काऊ है उत्तर प्रदेश में, लेकिन मनुस्मृति भड़काऊ साहित्य में शामिल है कि नहीं, इसकी जानकारी आरटीआई से हासिल करनी चाहिए-
    वेबसाइट में कई आपत्तिजनक बातें कही गई हैं….
    ईडी की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि यूपी में जातीय हिंसा भड़काने के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग की गई थी.- औपचारिक पुष्टि नहीं की ईडी ने ईडी की एफआईआर- अळग से हुई क्या- ईडी ने यूपी पुलिस की एफआईआर हासिल की
    ईडी आजकल कंगालों के घर में भी घुस जाती है- जहां सरकार कहे, वहीं खुदाई में लग जाती है-रिया चक्रवर्ती के मामले में भी सूंघने की कोशिश की, लेकिन लगता है कि माल कहीं मिला नहीं. आरोप है कि मदद के बहाने दंगों के लिए फंडिंग की जा रही थी
    फंडिंग की बदौलत अफवाहें फैलाने के लिए सोशल मीडिया के दुरूपयोग के भी सुराग, जांच एजेंसियों के हाथ वेबसाइट की डिटेल्स और पुख्ता जानकारी लगी है. मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने के लिए जस्टिस फार हाथरस नाम से रातों रात वेबसाइट तैयार हुई
    वेबसाइट में फर्जी आईडी के जरिए हजारों लोग जोड़े गए-अंतर्राष्ट्रीय साज़िश- हाथरस: जिस वेबसाइट पर अंतरराष्ट्रीय साज़िश रचने का आरोप, उसमें कहा गया- न्यूयॉर्क पुलिस से बचें -दुनिया भर के दंगाईयों एक हो जाओ.निदेशालय के सूत्रों का कहना है कि हाथरस कांड को लेकर चर्चा में आई वेबसाइट के सर्विस प्रोवाइडर से जानकारी मांगी गई है। 
    बेरोजगारी के खिलाफ बोलना,श्रमिकों के पलायन, मंदी-महमारी पर बोलना किसानों का सरकार के खिलाफ खड़ा होना, सब कुछ अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा.भय और दंगा भड़काने- फर्जी एनकॉउंटरों से भय नहीं, गाड़ियां पलट जाती हैं- पुलिस वालों को रोहित शेट्टी ने लगता है ट्रेनिंग दी है- अगर पलटना है तो कुछ इस तरह पलटो कि आस-पास के पुलिसवालों को चोट ना लगे…(अंडरस्टुड है कि मारे डर के ही अभियुक्त हार्ट अटैक से मर जाएगा, कुछ दिन पहले एक अपराधी चिरौरी कर रहा था पैर पकड़ कर पुलिस वाले की)- हमें एक मुख्यमंत्री याद आ रहा था जो संसद में अपनी जान के डर से फूट-फूट कर रो रहा था. 
     
  • Post a comment
  •       
Copyright © 2014 News Portal . All rights reserved
Designed & Hosted by: no amg Chaupal India
Sign Up For Our Newsletter
NEWS & SPECIAL INSIDE!
ads