- प्रधानमंत्री की राजकीय यात्राओं पर 2021 करोड़ के खर्च के असली लाभार्थी कौन, मोदी की मौजूदगी में किसके लिए हुए हज़ारों करोड़ के करार
- February 12, 2021
by Anshuman Tripathi - |
प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के असली लाभार्थी
हज़ारों करोड़ की यात्राओं से किसके लिए हज़ारों करोड़ के करार
-अंशुमान त्रिपाठी
किसानों को डर है कि एक बार अगर अडानी औऱ अंबानी को छूट मिल जाएगी तो उनकी ज़मीनें, उनकी खेती, उनकी मेहनत और मेहनताना सब चौपट हो जाएगा. क्योंकि वो वीएसएनएल का हाल देख चुके हैं. औऱ जियो का वर्किंग स्टाइल भुगत चुके हैं. लेकिन मोदीजी का कहना है कि किसानों को विपक्ष गुमराह कर रहा है. टुकड़े-टुकड़े गैंग, जेएनयू, खालिस्तानी, जिहादी-आतंकवादी और कांग्रेसी भड़का रहे हैं. वो तो मोदीजी हैं, जो इतना विरोध झेलने के बाद भी किसानों का भला करने पर अड़े हुए हैं. लेकिन किसानों का अंबानी-अडानी की सरकार वाला जो आरोप है, ये बड़ा संगीन है. कभी टाटा-बिरला-डालमिया का नाम खानदानी रईसों में आता था उनकी ब्रांडिंग बड़े व्यवसाइयों, उद्योगपतियों के रूप में होती रही है. लेकिन अंबानी-अडानी के नाम की ब्रांडिंग देश के क्रोनी कैपिटलिस्टों के रूप में हो रही है यानि उन पर सत्ता के सहारे देश की संपदा को लूटने का आरोप लग रहा है. इस आरोप के पक्ष में मोदीजी की विदेश यात्राओं का हवाला दिया जाता है. वैसे तो मोदीजी की विदेश यात्रा को देखते हुए एक शेर याद आता है-..सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ…ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ….बहरहाल जवानी से मतलब जोश से है.. वो नहीं जो आप समझ रहे हैं. दरसल खबरों के मुताबिक एक आरटीआई के जवाब में पीएमओ ने जानकारी दी है कि मोदीजी ने पिछले छह साल में विदेशों की 141 यात्राएं की, 152 देश घूमें,कुल 165 दिन बाहर रहे,और खर्च आया सिर्फ 355 करोड़ रुपए, वो तो कोरोना की वजह से उन्हें लोककल्याण मार्ग स्थित क्षीरसागर में उन्हें विश्राम करना पड़ रहा है, वरना बाकी देशों को भी उनका दर्शन-लाभ ज़रूर मिलता. खैर..कहा जाता है कि अंबानी-अडानी पूरा बिज़नेस प्लान बना कर मोदीजी के जहाज़ पर उछल कर सवार हो जाते हैं, दुनिया का सैर-सपाटा करते हैं, साथ में बही-खाता भी भरते रहते हैं. इन यात्राओं में सबसे ज्यादा दर्शन लाभ गौतम और अनिल को मिला, ऐसे अलौकिक व्यक्तित्व का साथ- सान्निध्य प्रारब्ध के कर्मफल के बगैर नहीं मिलता. पूर्वजन्मों की पुण्यात्माएं ही धनिक-वणिक परिवारों औऱ राजवंशों में जनमती हैं. लेकिन लीलाधारी तो किसी भी रूप में अवतार ले सकता है,बड़नगर के लीलाधारी के विराट स्वरूप को तो चुनाव विसेषज्ञ प्रशांत किशोर ने सबसे पहले अनुभूत किया. मोदीजी की नरेंद्र-दामोदर कथा लिखवाई गई, कहानियां गढ़ी गईं कि बाल नरेंद्र कैसे तालाब से मगरमच्छ को पकड़ लाए, कैसे बड़नगर पर जहां रेलवे स्टेशन नहीं था, वहां स्टेशन पर चाय की दुकान खोली. कैसे हिमालय गए और राष्ट्रनिर्माण पर चिंतन किया खैर य़े कथा फिर कभी तो हम मूल कथा पर लौटते हैं.. कि गौतम और अनिल नामके दो बालक ज्यादातर यात्राओं में मोदीजी के साथ गए. और दूसरे उद्योगपतियों को भी ले जाया गया, लेकिन उनके मुकाबले अनिल और गौतम मोटा भाई के ज़रा ज्यादा लाड़ले रहे. लाड़-दुलार में मोदी जी ने दोनों को फर्श से अर्श पर बिठा दिया. ये अलग बात है कि अनिल अर्श से फर्श पर आ गिरे. बहरहाल न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़ क्लिक के मुताबिक इन यात्राओं के दौरान दोनों की कंपनियों ने 16 देशों में 18 व्यापारिक समझौते किए. जिनमें 13 एमओयू अडानी ग्रुप ने तो पांच अनिल अंबानी के एडीएजी ग्रुप ने विदेशी कंपनियों या सरकारों के साथ किए... विवस्वान सिंह ने अपने लेख में लिखा है कि 28 मार्च, 2015 को अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस बनी और 12 दिन बाद फ्रांस में मोदीजी ने 58 हज़ार करोड़ में 36 रफेल खरीदने का ऐलान कर दिय़ा. अनिल की कंपनी को 24000 करोड़ का ऑफसेट कॉंट्रैक्ट मिला. 13 फरवरी, 2018 को स्वीडेन गए तो अनिल भाई का राष्ट्रवाद जाग गया और भारतीय नौसेना की दुर्दशा देख वहां की बड़ी डिफेंस कंपनी साब एबी से एक हज़ार करोड़ रुपए का करार कर लिया कि जहाज से उड़ने वाले अनमैन्ड एरियल विहिकल्स के लिए. इसी कंपनी ने दो साल पहले यानि 2016 में मेक इन इंडिया वीक में मुंबई आ कर अडानी की कंपनी से सौ फायटर प्लेन के भारत में निर्माण के लिए 60 हज़ार करोड़ रुपए की डील की थी. 2016 में ही 29 मार्च को अनिल की कंपनी ने इज़रायल की कंपनी से रफाल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम से हवा से हवा में मार करने वाली मिसायल भारतीय वायु सेना के लिए बनाने का 65 हज़ार करोड़ रुपए का एग्रीमेंट किया था, जिसमें अनिल की कंपनी का 51 फीसदी और इज़रायल की कंपनी का 49 फीसदी हिस्सा था....वहीं 30 मार्च को यानि अगले ही दिन गौतम भाई की अडानी एयरो डिफेंस सिस्टम एंड टेक्नॉलॉजी का एनमैन्ड एय़कक्रॉफ्ट मैन्यूफैक्चरिंग के लिए इज़रायल की ही एक दूसरी कंपनी करार हो गया. ये सारे संयोग नहीं प्रयोग हैं समझ रहे हैं ना मोदीजी की भाषा में ...2015 में जुलाई और दिसंबर में मोदीजी रूस गए औऱ 24 दिसंबर को डील की घोषणा हो गई, डील हुई रूस की एक बड़ी कंपनी के साथ, एयरडिफेंस सिस्टम बनाने के लिए 6 बिलियन अमेरिकन डॉलर का करार हुआ. 2016 के जून में मोदीजी अमेरिका गए, साथ गए अनिल भाईजी, यहां अमेरिका के सातवें बेड़े की रिलायंस के शिपयार्ड में रखरखाव और मरम्मत के लिए करार हुआ, मिंट के अनुसार इससे अनिल भाई को 15 हज़ार करोड़ की आमदनी होने की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन मोदीजी के साथ दुनिया की सैर में इतने गाफिल हो गए अनिल भाई की शिपयार्ड वाली कंपनी ही दिवालिया हो गई. और साढ़े तैंतालीस हज़ार करोड़ रुपए का घाटा हो गया. ज़ाहिर है कि इसका बोझ भारतीय बैंकों पर पड़ा होगा. ऐसे ही मौके के लिए मोदीजी अपने ऐसे ही घर फूंक तमाशा देखने वाले दोस्तों के लिए लाए हैं इंसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी कोड). अब अमेरिका के सातंवें बेड़े की मरम्मत करने वाले शिपयार्ड को खरीदने में रूस की कंपनी ने दिलचस्पी जाहिर की है.....पहली बार 2014 में चुनाव जीतने के बाद अगस्त- सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी जापान गए तो साथ में गौतम भाई भी गए.सुनील मित्तल भी गए, कुछ औऱ भी गए.यहां एक जापानी कंपनी से फैक्टरी से निकल कर शोरूम जाने वाली गाड़ियों की ढुलाई को लेकर करार हुआ...2014 में ही नवंबर में प्रधानमंत्री जी ऑस्ट्रेलिया गए- क्योंकि गौतम भाई को वहां कोयले की खदानों पर दिल आ गया था, पैसे के इंतज़ाम के लिए एसबीआई की चैयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य भी थी उन्होंने बैंक की तरफ से 5000 करोड़ की गारंटी दी. ये अलग बात है कि जैसे यहां किसान अडानी का विरोध कर रहे हैं, वैसा ऑस्ट्रेलिया अडानी के खिलाफ पहले से करता आ रहा है, शहरों में बकायदा रैलियां निकाली जाती रही हैं. लेकिन मोदीजी का दोस्त है, लाड़ला है....2016 में ईरान गए मोदी तो अडानीजी भी बहीखाता ले कर साथ रहे औऱ मशहूर चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत ने 450 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की. इस डील में अडानी के धंधे का भी खयाल रखा गया. लिहाज़ा हाल में गौतम भाई की तकलीफ समझते हुए मोदीजी ने प्रोजेक्ट में इनवेस्टमेंट कॉस्ट औऱ 100 मिलियन डॉलर बढा दी है... 2017 में मोजांबीक गए मोदीजी जी तो गौतम भाई ने बताया कि मोटा भाई, यहां दालें बड़ी सस्ती मिलती हैं. मोदीजी ने लंबे वक्त तक के लिए आयात का एक करार साइन कर लिया तो गौतम भाई को आईपीजीए ने खुशी खुशी आयात और स्टोरेज के लिए एक एमओयू पर साइन करवा लिया गया. मनेकि मोदीजी का मनोरंजन का मनोरंजन, साथ में धंधा चोखा...2018 फरवरी में मोदीजी ओमन गए और सितंबर में डील साइन करने का ऐलान हो गया. गजब स्टाइल है, अकसर छह महीने पहले मोदीजी कहीं जाते हैं, छह महीने के भीतर गौतम भाई की कंपनी का वहां की कंपनियों या सरकारों के साथ बिज़नेस डील हो जाता है, यारो का यार दुश्मनों का दुश्मन- दे दनादन...बब्बा ने बंग्लादेश भी नहीं छोड़ा, यहां भी अंबानी-अडानी के लिए बंदोबस्त कर डाला.झिंगालाला, ठीक पांच साल पहले अंबानी ने बिजली बनाने के लिए 3 बिलियन डॉलर की डील की तो अडानीजी से 16सौ मेगावाट की दो कोयला बिजली घर लगाने का डेढ़ मिलियन यूएस डॉलर का एग्रीमेंट हो गया. शेख हसीना भी मोदीजी को बहुत मानती हैं... खबरों के मुताबिक एक बार तो मोदीजी तो बगैर सिक्योरिटी के उन्हें लेने हवाई अड्डे पहुंच गए थे. इसी तरह भाई लोग बिरयानी खाने पाकिस्तान यूं ही नहीं गए, यूं ही नहीं नवाज़ शरीफ की मां की मौत पर मोदीजी को बड़ा दर्द था. बहुत दिलदार हैं मोदीजी, घुमाया जहाज कर गए लैंड, खाए बिरयानी, बाद में 2015 के दिसंबर में बिरयानी के ही रिश्ते से अडानी का कारिंदा पहुंच गया कि जी हम आपके मुल्क को रोशन करना चाहते हैं. मोदीजी आए थे तो उन्हें यहां कुछ अंधेरा नज़र आ रहा था. सिर्फ 4 हज़ार मेगावॉट खरीद लीजिए. अपने यहा भी दीनदयाल विद्युतीकरण योजना शुरू कर दीजिए. लेकिन हफ्ते भर बाद ही पठानकोट पर आतंकी हमला हो गया और अडानीजी के राष्ट्रवाद को हज़ारों करोड़ की चपत लग गई....2017 में म्यांमार यानि बर्मा भी व्यौपारी बन कर गए मोदीजी, वहां के हालात देखे तो रोना आ गया औऱ 500 मिलियन कर्ज देने का ऐलान कर दिया ताकि वहां सड़क, टेलीकॉम,रेल,रोड और कृषि का विकास हो सके. गौतम भाई के आंखों में फिर आंसू आ गए कि बताओं यहां बिजली नहीं है. उन्होंने कहा फिक्र ना करो, मोदीजी कर्ज दे रहे हैं, हम तुम्हें बिजली देंगे, बदले तुम हमें उस पैसे से अदा कर देना. क्या चोखा धंधा है. मोटा भाई पैसा लगाता तो छोटा भाई माल बनाता....औऱ आखिरी में सबसे पते की बात, जिसकी वजह से मोदीजी कितना भी चीन से नाराज़ हो जाएं लेकिन चीन का नाम जुबान पर नहीं लाते. कहते हैं कि दुश्मन का नाम नहीं लेना चाहिए. ड्रैगन भी इसीलिए हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन दबा कर बैठ गया. हम खुश हैं कि देखो उसकी दुम दबी हुई दिखाई दे रही है. एक नहीं, बहुत सारी वजह है कि चीन का नाम आते ही मोदीजी कहते हैं कि आंखे दिखाने वालों को आंखे दिखाई जाएंगी, इसी चक्कर में मोदीजी 18 बार शी जिनपिंग से मुलाकात भी कर लिए, हिंडोले पर झुलाए, अपने हाथ से चाय बना कर पिलाए, क्यों, फालतू में थोड़े ही....नंबर वन- 2015 –मई 14 को दो दिन की विजिट के दौरान साथ में गए गौतम भाई, तो गुजरात के मूंदड़ा में फोटोवोल्टिक सेल मैन्यूफैक्चरिंग के लिए चीन की एक बड़ी कंपनी से डील साइन होनी ही थी. इसके बाद डील नंबर टू- मूंदड़ा में अडानी के पॉवर प्लांट के लिए चाइना डेवलपनेंट बैंक से लोन का एग्रीमेंट हो गया. फिर डील नंबर थ्री- गुंजाओ पोर्ट को लेकर सिस्टर पोर्ट रिलेशनशिप का करार हो गया. कहा जाता है कि अगर मोदीजी का आशीर्वाद ना होता तो 2017 में जनवरी से दिसंबर के बीच अडानी को 124 फीसदी का मुनाफा हुआ., जीहां, एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी की नेटवर्थ में 4.63 बिलियन डॉलर से साल भर में दस दशमलव चार बिलियन डॉलर का इज़ाफा हुआ. ऐसे में अज्ञानी किसानों को ये लगता है कि अडानी-अंबानी उनकी ज़मीन हड़प लेंगे तो गलत बात, जानकारों का मानना है कि अभी भी बहुत सी पब्लिक सेक्चटर कंपनियों के साथ-साथ कई सरकारी संपत्तियां बाकी हैं.उनका नंबर तो बाद में आएगा. लेकिन क्या करें किसान है कि मानते नहीं.
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