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  • राजा निरबंसिया का हरिवंश पुराण..राज्यसभा प्रसरण के फुटेज से झूठ हुआ बेनकाब, विपक्षी सांसद अपनी ही सीट पर थे मौजूद, राजा निरबंसिया कथा पढ़ना ज़रूरी..
  • October 04, 2021
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                             राजा निरबंसिया का हरिवंश पुराण....

     

     

    आज की ताजा खबर संसद में लोक का तंत्र ने किया था चीर-हरण

     संसदीय लोकतंत्र की कृमिक हत्या की क्रूरकथा का संदर्भ समझने के लिए राजा निरबंसिया कथा पढ़ना भी ज़रूरी है...

    आज के हरिवंश पुराण को समझना होगा-

    नरोत्तम, नटराज, लीलाधारी, इच्छाधारी, परम कौतुकी श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी

    लोक और तंत्र के बीच महाभारत का अंतिम पर्व है हरिवंश पुराण

    भगवान विष्णु के सहस्रनाम पाठ करने से लोक और तंत्र दोनों की सिद्धि मिल जाती है.

    हरिवंशपुराण में तीन पर्व (हरिवंशपर्व, विष्णुपर्व तथा भविष्यपर्व) तथा ३१८ अध्याय हैं। 16 हज़ार तीन सौ चौहत्तर श्लोक हैं.

    विष्णुपर्व में नृत्य और अभिनयसंबंधी सामग्री अपने मौलिक रूप में मिलती है। इस पर्व के अंतर्गत दो स्थलों में छालिक्य का उल्लेख हुआ है। छालिक्य वाद्यसंगीतमय नृत्य ज्ञात होता है। हाव भावों का प्रदर्शन इस, नृत्य में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। छालिक्य के संबंध में अन्य पुराण कोई भी प्रकाश नहीं डालते।

    विष्णुपर्व (91 26-35) में वसुदेव के अश्वमेघ यज्ञ के अवसर पर भद्र नामक नट का अपने अभिनय से ऋषियों को तुष्ट करना वर्णित है।

    यहां डिसक्लेमर है कि इस पूरी बात का राज्यसभा के उपसभापति ठाकुर हरिवंश नारायण सिंह से कोई लेना देना नहीं है....

    उपराष्‍ट्रपति वेंकैया नायडू को लिखे पत्र में कहा है, ''20 सितंबर को राज्‍यसभा में जो कुछ भी हुआ, उससे मैं पिछले दो दिनों से आत्‍मपीड़ा, आत्म तनाव और मानसिक वेदना में हूं. मैं पूरी रात सो नहीं पाया.''

    अब जा कर समझ पाया आपके उस बयान का मतलब...

    दूसरी बार उपसभापति बनने की कीमत

    पत्रकारिता के युधिष्ठिर माने जाने वाले हरिवंश को कैसे चुकानी पड़ी-

    युधिष्ठिर को धर्मराज कहा जाता रहा है... सत्य वही जो हरिवंश बताएं..

    अश्वत्थामा हतो नरो वा कुंजरो...

    धृतराष्ट्र के लिए बघिर बन कर कीमत अदा की-

    न्याय व्यवस्था अंधी और संसदीय व्यवस्था बहरी हो चली है-

    यहां सवाल उठता है कि

    क्या सत्ता विरोधी पत्रकारिता का नकाब पहन कर किसी राजनीतिक दल के प्रति निष्ठा काम करती है- प्रेरणापुरुष,

    खैर सत्य के बहुत से आयाम हैं- मसलन-

    पत्रकारिता की गरिमा गिराने वाले ये लोग कौन हैं- जिन्हें चारा घोटाला महाघोटाला नज़र आता है और राफेल डील में शुचिता नज़र आती है

    विवाद शुरू हुआ कहां से

    कार्यवाही का समय बढ़ाने का प्रस्ताव- संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी

    सेंस ऑफ द हॉउस- नियम-37 का उल्लंघन सेंस ऑफ द लॉयलिटी

    विपक्ष की सोमवार को भी संशोधन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग- खारिज

    दोपहर- 01.03 पर फुटेज- गुलाम नबी आजाद

    वोटिंग की मांग को लेकर विवाद-

    सदस्य अपनी सीटों पर नहीं थे- ध्वनिमत से अस्वीकार-

    हरिवंश का रथ चार अंगुल ऊपर चलने वाला रथ नीचे आ गया

    कम से कम तीन सदस्य विभाजन की मांग के वक्त अपनी सीट पर थे

    नियम- 252 (4) के तहत मांग उठने पर मत विभाजन अनिवार्य

      स्थाई समिति में भेजे जाने के प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं कराई गई

    फुटेज- 1.07 से 1.26 के बीच- दोनों सांसद अपनी सीट पर थे

    1.10- तिरुचि शिवा डीएमके सांसद- स्थाई समिति में भेजने का प्रस्ताव- म्यूट

    1.11- केके रागेश- गैलरी,सीट नंबर 92-समिति भेजने का प्रस्ताव- म्यूट- 

         3 बार डिवीजन की आवाज सुनाई पड़ती है- इसके बाद दो बार

    1.12- डेरेक  ब्रॉयन- का प्रस्ताव भी जब इसी तरीके से खारिज तो वे आसंदी के करीब जा पहुंचे- तो उन पर रूल बुक फाड़ने का आरोप लगाया गया

    यदि मौखिक आधार पर भी कोई डिवीजन की मांग करता है तो इसकी स्वीकृति देनी होती है. अन्यथा विधेयक को नियमों के आधार पर पारित नहीं माना जाएगा. संविधान के अनुच्छेद 100 से मत विभाजन की प्रक्रिया निकली है.

    1.14-1.26 तक लगातार ऑडियो म्यूट किया गय़ा.

    लोकतंत्र की आवाज़ को दबाने का काम संसद के भीतर और बाहर जारी है

    वाईएसआर कांग्रेस के अलावा अकाली दल और एआईएडीएमके बिल के विरोध में प्रवर समिति को भेजने के पक्ष में, बीजेडी और टीआरएस भी विचार-विमर्श के लिए भेजने के पक्ष में

    सबका मालिक एक- किसका दबाव- अध्यादेश के रूप में लाने की मजबूरी ही संसद  में लोकतंत्र की हत्या करने की असली वजह है- डाटा से आटा तक का खेल

    बदनाम औऱ निलंबित- 8 सांसद-कांग्रेस, टीएमसी, आप, सीपीएम के

    भावुक और नैतिकता के पुजारी हरिवंश ने चाय बिस्कुट का नाटक खेला

    मोदीजी से प्रेरणा ले कर कैमरा टीम ले कर संसद परिसर पहुंच गए धरना दे रहे सांसदों को चाय पिलाने के बहाने उन्हें बदनाम करने और पत्रकारों की छवि से जुड़ी जो थोड़ बहुत संवेदना बची हुई है, उसे भुनाने के लिए

    सदन के बाहर यूएपीए से लोकतंत्र का दमन, संसद के अंदर लोकतंत्र का चीर हरण

    यार तुमने तो अपनी ही दौपदी दांव पर लगा दी...लोकतंत्र की लाज बचाने की जगह दुश्शासन का काम खुद किया...

    खैर युधिष्ठिरों का सत्य यही रहा...आगे बढ़ने की महत्वाकांक्षा इतनी बलवती रही कि पांडवों और द्रौपदी को भी आखिर में पीछे छोड़ कर तुम हमेशा आगे बढ़ते चले गए...

    आपसे पहले देश के नटराज ने आपको भुना लिया-

    पीएम मोदी ने ट्वीट किया,

     

    ''बिहार की धरती ने सदियों पहले पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी थी। आज उसी बिहार की धरती से प्रजातंत्र के प्रतिनिधि बने श्री हरिवंश जी ने जो किया, वह प्रत्येक लोकतंत्र प्रेमी को प्रेरित और आनंदित करने वाला है।''

    उन्होंने आगे लिखा, ''हर किसी ने देखा कि दो दिन पहले लोकतंत्र के मंदिर में उनको किस प्रकार अपमानित किया गया, उन पर हमला किया गया और फिर वही लोग उनके खिलाफ धरने पर भी बैठ गए। लेकिन आपको आनंद होगा कि आज हरिवंश जी ने उन्हीं लोगों को सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर पिलाई। यह हरिवंश जी की उदारता और महानता को दर्शाता है। लोकतंत्र के लिए इससे खूबसूरत संदेश और क्या हो सकता है। मैं उन्हें इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।''

    कदाचार को छिपाने के लिए लोकतंत्र के मंदिर की दुहाई

      हरिवंश का बयान- उपवास किसलिए किया,

    ''भगवान बुद्ध मेरे जीवन के प्रेरणास्रोत रहे हैं. बिहार की धरती पर ही आत्‍मज्ञान पाने वाले बुद्ध ने कहा था- आत्‍मदीपो भव:. मुझे लगा कि उच्‍च सदन के मर्यादित पीठ पर मेरे साथ जो अपमानजनक व्‍यवहार हुआ,उसके लिए मुझे एक दिन का उपवास करना चाहिए. शायद मेरे इस उपवास से सदन में इस तरह का आचरण करने वाले माननीय सदस्‍यों के अंदर आत्‍मशुद्धि का भाव जागृत हो जाए.''

    दूसरो की जय से पहले अपने स्वार्थ पर विजय प्राप्त करें...

     लेकिन राजा जगपति का एक चरित्र था.... हरिवंश ने तो आत्मा भी बेच दी...उसे जगपति की तरह अपराधबोध भी नहीं हुआ....

    तो ये था राजा निरबंसिया का हरिवंश पुराण-

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