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  • मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन की असली वजह: जिसे सरकार छुपा रही है, मीडिया सुनने को तैयार
  • June 10, 2017
  • भोपाल के किसानों ने तय समर्थन मूल्य पर सरकार को गेहूं बेच दिया है लेकिन अब ये किसान अपनी ही मेहनत के पैसे के लिए सहकारी समितियों और बैको के चक्कर लगा रहै है। कही बताया जाता है कि पैसा नहीं आया तो कही उनको भुगतान के लिये चक्कर लगवाया जाता है। बैतूल में 140 किसानों के तुअर का भुगतान डेढ़ महीने से अटका हुआ है। दूसरी ओर भुगतान के लिए सहकारी बैंकोंसमितियों द्वारा पैन कार्ड औऍर दूसरे कागजात लाने के बहाने भुगतान रोका जा रहा है। कई किसानों के पास पैन कार्ड नहीं है। लिहाजा खुद के खाते में पैसे होने के बावजूद भी किसान पैसों को तरस रहे हैं। भुगतान के अभाव में किसान खासे परेशान हैं। वे खरीफ सीजन के लिए खाद-बीज तक की व्यवस्था वे नहीं कर पा रहे हैं।

    जिला सीहोर के ग्राम चंदेरी में किसान अपने भुगतान के लिये सोसाइटी के चक्कर लगा रहे है। इसके साथ पैन कार्ड की शर्त के चलते कई किसानों के भुगतान अटके पड़े है। 

    गुना- जमरा गांव के किसानों को टुकड़ों में भुगतान हो रहा है। बैंक और सोसाइटी वाले एक-दो दिन का कहकर टाल देते हैं

    जिला हरदा में सोनतलाई गांव के लोग जिला सहकारी बैंक भी किसानों को भुगतान करने में टाल-मटोल कर रहे है। जिससे किसानों को खरीफ के सीजन की बोवनी के लिए खाद-बीज की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा है। 

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