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महात्मागांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत मजदूरी बढ़ाये जाने की संभावना है। केन्द्र सरकार श्रमिको को भुगतान के लिये तय बेसलाइन में संशोधन पर विचार कर रही है।मनरेगा के तहत मजदूरी के भुगतान के लिए बेसलाइन में सालाना संशोधन के तहत इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक कृषि श्रमिक (सीपीआई-एएल) से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ग्रामीण (सीपीआई-ग्रामीण) किया जा सकता है। केन्द्र सरकार महेन्द्र देव समिति की इन सिफारिशों पर विचार कर रही है। सरकार का कहना है कि इस बारे में अंतिम फैसला सभी राज्य सरकारों के साथ विचार विमर्श के बाद किया जाएगा। इस साल का मनरेगा बजट 48,000 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे ज्यादा बढ़ोतरी वाला बजट होने के बावजूद वेतन संशोधन में 2.7 फीसदी की गिरावट सबसे कम थी।
कमेटी ने अध्ययन में पाया कि कर्नाटक, पंजाब, झारखंड, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, मिजोरम और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कृषि मजदूरों को मिलने वाली मजदूरी मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी से कहीं ज्यादा है। अन्य राज्यों में जहां मनरेगा के मजदूरी को पूरा करने में असफल रहे उसमें सिक्किम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, मध्य प्रदेश और बिहार भी हैं. वहीं राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में मिलने वाली मनरेगा मजदूरी और कृषि मजदूरी में मामूली फर्क है।

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