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मेरी प्रकाश की बेटी है और प्रकाश बीएमसी में सफाई कर्मचारी. दोनों के हौसले बुलंद हैं. बेटी फुटबॉल में देश का नाम रोशन करना चाहती है तो बाप बेटी के सपने के लिए कुछ भी करने को तैयार है. बस रहने के लिए घर नहीं है. मां-बाप-बेटी तीनों फुटपॉथ पर रहते हैं मुंबई के मुलुंड में. लेकिन मलाल बिल्कुल नहीं. घर अपना था और पक्का भी, दो हज़ार दस में बीएमसी ने तोड़ दिया. लेकिन कुछ रुका नहीं, सब चल रहे हैं. अभी दो हजार सतरह में ही तो मेरी को दिल्ली बुला कर पीएम मोदी ने पुरुस्कार से नवाज़ा था देश के फुटबॉलरों की तलाश के लिए चलाए गए मिशन इलेवन मिलियन कार्यक्रम के तहत. लौटने पर सबने भरोसा दिया था कि अब तो मेरी को रहने को घर मिल जाएगा. औऱ भी बहुत से नेता लोग आए कि हम आपको घर देंगे, हम आपको घर देंगे कहते हुए अपने अपने घर चले गए. घर नहीं मिलने का कोई गम नहीं मेरी अपनी तैयारी में लगी हुई है. उसे देश का नाम फुटबॉल में रोशन करना है. सुनील क्षेत्री सर के साथ उसे फोटो निकालने का मौका मिला है. इसे वो बहुत बड़ी कामयाबी मानती है. यहां तक आने में उसे तीन नौजवानों की बनाई एनजीओ ने बहुत मदद की है.उसे भरोसा है आगे वो और भी कामयाब रहेगी. बस उसे आपकी दुआएं चाहिए...

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